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HISTORY

प्रारम्भ में विद्यालय के शिक्षकों को चन्दा एवं बाबू बालकृष्ण झा जी द्वारा शिक्षकों को वेतन भुगतान किया जाता रहा । कार्य कारिणि समिति में श्री बाल कृष्ण झा पूर्व विधायक अध्यक्ष पद पर अपना कर्त्तव्य निर्वहन करते रहे और सचिव पद पर श्री देवधर झा जी आरुझ हुए । पं० श्री ज्यौतिषाचार्य, श्री दीनानाथ झा साहित्याचार्य एवं श्री शिवनारायण झा ‘लिपिक’ श्री परमानन्द झा आदेशपाल के रूप में नियुक्त हुए । जिन्हें 01.04.1975 से कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय कामेश्वरनगर दरभंगा से प्रथम भुगतान प्रारम्भ हुई ।

टोल विद्यालयो के वर्गीकरण के क्रम में बिहार सरकार शिक्षा विभाग के पत्रांक शि० 204 दिनांक- 02.03.1981 के द्वारा दिनांक 01.04.1980 से उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के रूप स्थायी मान्यता प्राप्त हुआ । और एकादश एवं द्वादश वर्ग की पढाई समेकित प्रणाली से प्रारम्भ हुई । समेकित प्रणाली में चार आचार्य एवं रात्रि प्रहरी को 01.04.1980 से वेतन भुगतान किया जाता रहा है ।

          बिहार सरकार मानव संसाधन विकास विभाग के पत्रांक 501 दिनांक 27.05.1987 के द्वारा शास्त्री माहविद्यालय में वित्तरहित स्तरोन्नयन एवं संवंधन दिया गया । वर्तमान समय में उक्त संवंधन जारी नही रहने के कारण शास्त्री स्तर की पढ़ाई विधित है उक्त स्तर का एवं परीक्षा वेदन प्रपत्र भी नही भरा जा रहा है ।

इस महाविद्यालय के उत्तीर्ण छात्रो पं० श्री विरेन्द्र झा खमगड़ा व्याख्याता के रूप में राजस्थान में कार्यरत है जो राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत है साथ ही और भी छात्र राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित है । इस महाविद्यालय के कतिपय छात्र शिक्षण कार्य कर रहे है ।

स्थापना काल में पं० श्री रूद्रनन्द मिश्र प्रधानाचार्य पद पर आसीन रहे । उसके वाद पं० श्री गंगादत्त जा व्याकरणाचार्य पं० श्री मधुकान्त मिश्र ज्योतिषाचार्य पं० श्री दीनानाथ झा एवं पं० श्री विजय कुमार झा कार्यरत रहे ।

         

वर्त्तमान में पं० श्री कृपानन्द मिश्र प्रभारी प्रधानाचार्य के रूप में 01.07.2019 से अकेले कार्यरत है । इस समय प्रबन्ध समिति में श्री नारायण कुमार झा दाता सदस्य अध्यक्ष के पद पर आसीन है एवं प्रो० विश्वनाथ मिश्र सचिव के पद पर है ।   

© 2019 by अनन्त लाल सार्वजनिक संस्कृत उपशास्त्री महाविद्यालय

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